मेरे प्यारे देशवासियों,
कुछ ही घंटों के बाद हम सब 2017 के नववर्ष का स्वागत करेंगे। भारत के सवा सौ करोड़ नागरिक नयासंकल्प, नई उमंग, नया जोश, नए सपने लेकर स्वागत करेंगे।
दीवाली के तुरंत बाद हमारा देश ऐतिहासिक शुद्धि यज्ञ का गवाह बना है। सवा सौ करोड़ देशवासियों के धैर्यऔर संकल्पशक्ति से चला ये
शुद्धि यज्ञ आने वाले अनेक वर्षों तक देश की दिशा निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाएगा।
ईश्वर दत्त मानव स्वभाव अच्छाइयों से भरा रहता है। लेकिन समय के साथ आई विकृतियों, बुराइयों केजंजाल में वो घुटन महसूस करने लगता है। भीतर की अच्छाई के कारण, विकृतियों और बुराइयों की घुटन सेबाहर निकलने के लिए वो छटपटाता रहता है। हमारे राष्ट्र जीवन और समाज जीवन में भ्रष्टाचार, कालाधन, जालीनोटों के जाल ने ईमानदार को भी घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया था।
उसका मन स्वीकार नहीं करता था, लेकिन उसे परिस्थितियों को सहना पड़ता था, स्वीकार करना पड़ता था।
दीवाली के बाद की घटनाओं से ये सिद्ध हो चुका है कि करोड़ों देशवासी ऐसी घुटन से मुक्ति के अवसर कीतलाश कर रहे थे।
हमारे देशवासियों की अंतर ऊर्जा को हमने कई बार अनुभव किया है। चाहे सन 62 का बाहरी आक्रमण हो, 65 का हो, 71 का हो, या कारगिल का युद्ध हो, भारत के कोटि-कोटि नागरिकों की संगठित शक्तियों औरअप्रतिम देशभक्ति के हमने दर्शन किए हैं। कभी ना कभी बुद्धिजीवी वर्ग इस बात की चर्चा जरूर करेगा किबाह्य शक्तियों के सामने तो देशवासियों का संकल्प सहज बात है, लेकिन जब देश के कोटि-कोटि नागरिकअपने ही भीतर घर कर गई बीमारियों के खिलाफ, बुराइयों के खिलाफ, विकृतियों के खिलाफ लड़ाई लड़ने केलिए मैदान में उतरते हैं, तो वो घटना हर किसी को नए सिरे से सोचने के लिए प्रेरित करती है।
दीवाली के बाद लगातार देशवासी दृढ़संकल्प के साथ, अप्रतिम धैर्य के साथ, त्याग की पराकाष्ठा करते हुए, कष्ट झेलते हुए, बुराइयों को पराजित करने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।
जब हम कहते हैं कि- कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, इस बात को देशवासियों ने जीकर दिखाया है।
कभी लगता था सामाजिक जीवन की बुराइयां-
विकृतियां जाने अनजाने में, इच्छा-अनिच्छा से हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गए हैं। लेकिन 8 नवंबर के बादकी घटनाएं हमें पुनर्विचार करने के लिए मजबूर करती हैं।
सवा सौ करोड़ देशवासियों ने तकलीफें झेलकर, कष्ट उठाकर ये सिद्ध कर दिया है कि हर हिंदुस्तानी के लिएसच्चाई और अच्छाई कितनी अहमियत रखती है।
काल के कपाल पर ये अंकित हो चुका है कि जनशक्ति का सामर्थ्य क्या होता है, उत्तम अनुशासन किसे कहतेहैं, अप-प्रचार की आंधी में सत्य को पहचानने की विवेक बुद्धि किसे कहते हैं। सामर्थ्यवान, बेबाक-बेईमानी केसामने ईमानदारी का संकल्प कैसे विजय पाता है।
गरीबी से बाहर निकलने को आतुर जिंदगी, भव्य भारत के निर्माण के लिए क्या कुछ नहीं कर सकती।देशवासियों ने जो कष्ट झेला है, वो भारत के उज्जवल भविष्य के लिए नागरिकों के त्याग की मिसाल है।
सवा सौ करोड़ देशवासियों ने संकल्प बद्ध होकर, अपने पुरुषार्थ से, अपने परिश्रम से, अपने पसीने से उज्जवलभविष्य की आधारशिला रखी है।
आमतौर पर जब अच्छाई के लिए आंदोलन होते हैं तो सरकार और जनता आमने-सामने होती है। ये इतिहासकी ऐसी मिसाल है जिसमें सच्चाई औऱ अच्छाई के लिए सरकार और जनता, दोनों मिलकर कंधे से कंधामिलाकर लड़ाई लड़ रहे थे।
मेरे प्यारे देशवासियों,
मैं जानता हूं कि बीते दिनों आपको अपना ही पैसा निकालने के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ा, परेशानीउठानी पड़ी। इस दौरान मुझे सैकड़ों-हजारों चिट्ठियां भी मिली हैं। हर किसी ने अपने विचार रखे हैं, संकल्पभी दोहराया है। साथ ही साथ अपना दर्द भी मुझसे साझा किया है। इन सबमें एक बात मैंने हमेशा अनुभवकी- आपने मुझे अपना मानकर बातें कहीं हैं। भ्रष्टाचार, कालाधन, जालीनोट के खिलाफ लड़ाई में आप एककदम भी पीछे नहीं रहना चाहते हैं। आपका ये प्यार आशीर्वाद की तरह है।
अब प्रयास है कि नए वर्ष में हो सके, उतना जल्दी, बैंकों को सामान्य स्थिति की तरफ ले जाया जाए। सरकारमें इस विषय से जुड़े सभी जिम्मेदार व्यक्तियों से कहा गया है कि बैंकिंग व्यवस्था को सामान्य करने पर ध्यानकेंद्रित किया जाए। विशेषकर ग्रामीण इलाकों में, दूर-दराज वाले इलाकों में प्रो-एक्टिव होकर हर छोटी सेछोटी कमी को दूर किया जाए ताकि गांव के नागरिकों की, किसानों की कठिनाइयां खत्म हों।
प्यारे भाइयों और बहनों,
हिंदुस्तान ने जो करके दिखाया है, ऐसा विश्व में तुलना करने के लिए कोई उदाहरण नहीं है। बीते 10-12 सालों में 1000 और 500 के नोट सामान्य प्रचलन में कम और पैरेलल इकॉनोमी में ज्यादा चल रहे थे। हमारीबराबरी की अर्थव्यवस्था वाले देशों में भी इतना कैश नहीं होता।
हमारी अर्थव्यवस्था में बेतहाशा बढ़े हुए ये नोट महंगाई बढ़ा रहे थे, कालाबाजारी बढ़ा रहे थे, देश के गरीब सेउसका अधिकार छीन रहे थे।
अर्थव्यवस्था में कैश का अभाव तकलीफदेह है, तो कैश का प्रभाव और अधिक तकलीफदेह है। हमारा ये प्रयासहै कि इसका संतुलन बना रहे। एक बात में सभी अर्थशास्त्रियों की सहमति है कि कैश अथवा नगद अगरअर्थव्यवस्था से बाहर है तो विपत्ति है। वही कैश या नकद अगर अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में हो तो विकासका साधन बनता है।
इन दिनों करोड़ों देशवासियों ने जिस धैर्य-अनुशासन औऱ संकल्प-शक्ति के दर्शन कराएं हैं, अगर आज लालबहादुर शास्त्री होते, जय प्रकाश नारायण होते, राम मनोहर लोहिया होते, कामराज होते, तो अवश्यदेशवासियों को भरपूर आशीर्वाद देते।
किसी भी देश के लिए ये एक शुभ संकेत है कि उसके नागरिक कानून औऱ नियमों का पालन करते हुए, गरीबोंकी सेवा में सरकार की सहायता के लिए मुख्यधारा में आना चाहते हैं। इन दिनों, इतने अच्छे-अच्छे उदाहरणसामने आए हैं जिसका वर्णन करने में हफ्तों बीत जाएं। नकद में कारोबार करने पर मजबूर अनेक नागरिकों नेकानून-नियम का पालन करते हुए मुख्यधारा में आने की इच्छा प्रकट की है। ये अप्रत्याशित है। सरकार इसकास्वागत करती है।
मेरे प्यारे देशवासियों,
हम कब तक सच्चाइयों से मुंह मोड़ते रहेंगे। मैं आपके सामने एक जानकारी साझा करना चाहता हूं। औऱ इसेसुनने के बाद या तो आप हंस पड़ेंगे या फिर आपका गुस्सा फूट पड़ेगा। सरकार के पास दर्ज की गई जानकारीके हिसाब से देश में सिर्फ 24 लाख लोग ये मानते हैं कि उनकी आय
10 लाख रुपए सालाना से ज्यादा है। क्या किसी देशवासी के गले ये बात उतरेगी?
आप भी अपने आसपास बड़ी-बड़ी कोठियां, बड़ी-बड़ी गाड़ियों को देखते होंगे। देश के बड़े-बड़े शहरों को हीदेखें तो किसी एक शहर में आपको सालाना 10 लाख से अधिक आय वाले लाखों लोग मिल जाएंगे।
क्या आपको नहीं लगता कि देश की भलाई के लिए ईमानदारी के आंदोलन को और अधिक ताकत देने कीजरूरत है।
भ्रष्टाचार, कालेधन के खिलाफ इस लड़ाई की सफलता के कारण ये चर्चा बहुत स्वाभाविक है कि अब बेईमानोंका क्या होगा, बेईमानों पर क्या बीतेगी, बेईमानों को क्या सज़ा होगी। भाइयों और बहनों, कानून, कानून काकाम करेगा, पूरी कठोरता से करेगा। लेकिन सरकार के लिए इस बात की भी प्राथमिकता है कि ईमानदारों कोमदद कैसे मिले, सुरक्षा कैसे मिले, ईमानदारी की जिंदगी बिताने वालों की कठिनाई कैसे कम हो। ईमानदारीअधिक प्रतिष्ठित कैसे हो।
ये सरकार सज्जनों की मित्र है और दुर्जनों को सज्जनता के रास्ते पर लौटाने के लिए उपयुक्त वातावरण कोतैयार करने के पक्ष में है।
वैसे ये भी एक कड़वा सत्य है कि लोगों को सरकार की व्यवस्थाओं, कुछ सरकारी अफसरों औरलालफीताशाही से जुड़े कटु अनुभव होते रहते हैं। इस कटु सत्य को नकारा नहीं जा सकता। इस बात से कौनइनकार कर सकता है कि नागरिकों से ज्यादा जिम्मेदारी अफसरों की है, सरकार में बैठे छोटे-बड़े व्यक्ति की है।औऱ इसलिए चाहे केंद्र सरकार हो, राज्य सरकार हो या फिर स्थानीय निकाय, सबका दायित्व है कि सामान्यसे सामान्य व्यक्ति के अधिकार की रक्षा हो, ईमानदारों की मदद हो और बेईमान अलग-थलग हों।
दोस्तों,
पूरी दुनिया में ये एक सर्वमान्य तथ्य है कि आतंकवाद, नक्सलवाद, माओवाद, जाली नोट का कारोबार करनेवाले, ड्रग्स के धंधे से जुड़े लोग, मानव तस्करी से जुड़े लोग, कालेधन पर ही निर्भर रहते हैं। ये समाज औरसरकारों के लिए नासूर बन गया था। इस एक निर्णय ने इन सब पर गहरी चोट पहुंचाई है। आज काफी संख्यामें नौजवान मुख्यधारा में लौट रहे हैं। अगर हम जागरूक रहें, तो अपने बच्चों को हिंसा और अत्याचार के उनरास्तों पर वापस लौटने से बचा पाएंगे।
इस अभियान की सफलता इस बात में भी है कि अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा से बाहर जो धन था, वो बैंकों केमाध्यम से अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में वापस आ गया है। पिछले कुछ दिनों की घटनाओं से ये सिद्ध हो चुकाहै कि चालाकी के रास्ते खोजने वाले बेईमान लोगों के लिए, आगे के रास्ते बंद हो चुके हैं। टेक्नॉलोजी ने इसमेंबहुत बड़ी सेवा की है। आदतन बेईमान लोगों को भी अब टेक्नोलॉजी की ताकत के कारण, काले कारोबार सेनिकलकर कानून-नियम का पालन करते हुए मुख्यधारा में आना होगा।
साथियों,
बैंक कर्मचारियों ने इस दौरान दिन-रात एक किए हैं। हजारों महिला बैंक कर्मचारी भी देर रात तक रुककरइस अभियान में शामिल रही हैं। पोस्ट ऑफिस में काम करने वाले लोग, बैंक मित्र, सभी ने सराहनीय कामकिया है। हां, आपके इस भगीरथ प्रयास के बीच, कुछ बैंकों में कुछ लोगों के गंभीर अपराध भी सामने आए हैं।कहीं-कहीं सरकारी कर्मचारियों ने भी गंभीर अपराध किए हैं औऱ आदतन फायदा उठाने का निर्लज्ज प्रयास भीहुआ है। इन्हें बख्शा नहीं जाएगा।
ये देश के बैंकिंग सिस्टम के लिए एक स्वर्णिम अवसर है। इस ऐतिहासिक अवसर पर मैं देश के सभी बैंकों सेआग्रह पूर्वक एक बात कहना चाहता हूं। इतिहास गवाह है कि हिंदुस्तान के बैंकों के पास एक साथ इतनी बड़ीमात्रा में, इतने कम समय में, धन का भंड़ार पहले कभी नहीं आया था। बैंकों की स्वतंत्रता का आदर करते हुएमेरा आग्रह है कि बैंक अपनी परंपरागत प्राथमिकताओं से बाहर निकलकर अब देश के गरीब, निम्न मध्य वर्गऔऱ मध्यम वर्ग को केंद्र में रखकर अपने कार्य का आयोजन करे। हिंदुस्तान जब पंडित दीन दयाल उपाध्यायजन्म शताब्दी वर्ष को गरीब कल्याण वर्ष के रूप में मना रहा है। तब बैंक भी लोकहित के इस अवसर को हाथसे ना जाने दें। हो सके, उतना जल्दी लोकहित में उचित निर्णय करें और उचित कदम उठाएं।
जब निश्चित लक्ष्य के साथ नीति बनती है, योजनाएं बनती हैं तो लाभार्थी का सशक्तिकरण तो होता ही है, साथ ही साथ इसके तत्कालिक और दूरगामी फल भी मिलते हैं। पाई-पाई पर बारीक नजर रहती है, इससेअच्छे परिणामों की संभावना भी पक्की होती है। गांव-गरीब-
किसान, दलित,पीड़ित, शोषित, वंचित और महिलाएं, जितनी सशक्त होंगी,
आर्थिक रूप से अपने पैरों पर खड़ी होंगी, देश उतना ही मजबूत बनेगा औऱ विकास भी उतना ही तेज होगा।
सबका साथ-सबका विकास- इस ध्येयवाक्य को चरितार्थ करने के लिए नववर्ष की पूर्व संध्या पर देश के सवासौ करोड़ नागरिकों के लिए सरकार कुछ नई योजनाएं ला रही है।
दोस्तों, स्वतंत्रता के इतने साल बाद भी देश में लाखों गरीबों के पास अपना घर नहीं है। जब अर्थव्यवस्था मेंकालाधन बढ़ा, तो मध्यम वर्ग की पहुंच से घर भी खरीदना दूर हो गया था। गरीब, निम्न मध्यम वर्ग, औरमध्यम वर्ग के लोग घर खरीद सकें, इसके लिए सरकार ने कुछ बड़े फैसले लिए हैं।
अब प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरों में इस वर्ग को नए घर देने के लिए दो नई स्कीमें बनाई गई हैं।इसके तहत 2017 में घर बनाने के लिए 9 लाख रुपए तक के कर्ज पर ब्याज में 4 प्रतिशत की छूट और 12 लाख रुपए तक के कर्ज पर ब्याज में 3 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।
इसी तरह सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गांवों में बनने वाले घरों की संख्या को बढ़ा दिया है।यानि जितने घर पहले बनने वाले थे, उससे 33 प्रतिशत ज्यादा घर बनाए जाएंगे।
गांवों के निम्न मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग के लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए एक नई योजना शुरूकी जा रही है। 2017 में गांव के जो लोग अपने घर का निर्माण करना चाहते हैं या विस्तार करना चाहते हैं, एक-दो कमरे और बनाना चाहते हैं, ऊपर एक मंजिल बनाना चाहते हैं, उन्हें 2 लाख रुपए तक के ऋण में 3 प्रतिशत ब्याज की छूट दी जाएगी।
दोस्तों, बीते दिनों चारों तरफ ऐसा वातावरण बना दिया गया था कि देश की कृषि बर्बाद हो गई है। ऐसावातावरण बनाने वालों को जवाब मेरे देश के किसानों ने ही दे दिया है। पिछले साल की तुलना में इस वर्ष रबीकी बुवाई 6 प्रतिशत ज्यादा हुई है। फर्टिलाइजर भी 9 प्रतिशत ज्यादा उठाया गया है। सरकार ने इस बात कालगातार ध्यान रखा कि किसानों को बीज की दिक्कत ना हो, खाद की दिक्कत ना हो, कर्ज लेने में परेशानी नाआए। अब किसान भाइयों के हित में कुछ और अहम निर्णय भी लिए गए हैं।
डिस्ट्रिक्ट कॉपरेटिव सेंट्रल बैंक और प्राइमरी सोसायटी से जिन किसानों ने खरीफ और रबी की बुवाई के लिएकर्ज लिया था, उस कर्ज के 60 दिन का ब्याज सरकार वहन करेगी और किसानों के खातों में ट्रांसफर करेगी।
कॉपरेटिव बैंक और सोसायटीज से किसानों को और ज्यादा कर्ज मिल सके, इसके लिए उपाय किए गए हैं।नाबार्ड ने पिछले महीने 21 हजार करोड़ रुपए की व्यवस्था की थी। अब सरकार इसे लगभग दोगुना करते हुएइसमें 20 हजार करोड़ रुपए और जोड़ रही है। इस रकम को नाबार्ड, कॉपरेटिव बैंक और सोसायटीज को कमब्याज पर देगा और इससे नाबार्ड को जो आर्थिक नुकसान होगा है, उसे भी सरकार वहन करेगी।
सरकार ने ये भी तय किया है कि अगले तीन महीने में 3 करोड़ किसान क्रेडिट कार्डों को RUPAY कार्ड मेंबदला जाएगा। किसान क्रेडिट कार्ड में एक कमी यह थी कि पैसे निकालने के लिए बैंक जाना पड़ता था। अबजब किसान क्रेडिट कार्ड को RUPAY कार्ड में बदल दिया जाएगा, तो किसान कहीं पर भी अपने कार्ड सेखरीद-बिक्री कर पाएगा।
भाइयों और बहनों, जिस प्रकार देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्व है, उसी प्रकार विकास औऱ रोजगारके लिए लघु और मध्यम उद्योग, जिसे MSME भी कहते हैं, का भी महत्वपूर्ण योगदान है। इसको ध्यान मेंरखते हुए सरकार ने इस क्षेत्र के लिए कुछ निर्णय लिए हैं, जो रोजगार बढ़ाने में सहायक होंगे।
सरकार ने तय किया है कि छोटे कारोबारियों के लिए क्रेडिट गारंटी 1 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपएकरेगी। भारत सरकार एक ट्रस्ट के माध्यम से बैंकों को ये गारंटी देती है कि आप छोटे व्यापारियों को लोनदीजिए, गारंटी हम लेते हैं। अब तक यह नियम था कि एक करोड़ रुपए तक के लोन को कवर किया जाता था।अब 2 करोड़ रुपए तक का लोन क्रेडिट गारंटी से कवर होगा। NBFC यानि नॉन-बैंकिंग फाइनेंसियल कंपनीसे दिया गया लोन भी इसमें कवर होगा।
सरकार के इस फैसले से छोटे दुकानदारों, छोटे उद्योगों को ज्यादा कर्ज मिलेगा। गारंटी का खर्च केंद्र सरकारद्वारा वहन करने के कारण इन पर ब्याज दर भी कम होगी।
सरकार ने बैंकों को ये भी कहा है कि छोटे उद्योगों के लिए कैश क्रेडिट लिमिट को 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करें। इसके अलावा डिजिटल माध्यम से हुए ट्रांजेक्शन पर वर्किंग कैपिटल लोन 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत तक करने को कहा गया है। नवंबर में इस सेक्टर से जुड़े बहुत से लोगों ने कैश डिपॉजिट किया है।बैंकों को कहा गया है कि वर्किंग कैपिटल तय करते वक्त इसका भी संज्ञान लें।
कुछ दिन पहले ही सरकार ने छोटे कारोबारियों को टैक्स में बड़ी राहत देने का भी निश्चय किया था। जोकारोबारी साल में 2 करोड़ रुपए तक का व्यापार करते हैं, उनके टैक्स की गणना 8 प्रतिशत आय को मानकरकी जाती थी। अब ऐसे व्यापारी के डिजिटल लेन देन पर टेक्स की गणना 6 प्रतिशत आय मानकर की जाएगी। इस तरह उनका टैक्स काफी कम हो जाएगा।
दोस्तों,
मुद्रा योजना की सफलता निश्चित तौर पर बहुत उत्साहवर्धक रही है। पिछले साल करीब-करीब साढ़े तीनकरोड़ लोगों ने इसका फायदा उठाया है। दलित-आदिवासी-पिछड़ों, एवं महिलाओं को प्राथमिकता देते हुएसरकार का, इसे अब डबल करने का इरादा है।
गर्भवती महिलाओं के लिए भी एक देशव्यापी योजना की शुरुआत की जा रही है। अब देश के सभी, 650 सेज्यादा जिलों में सरकार गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में पंजीकरण और डिलिवरी, टीकाकरण और पौष्टिकआहार के लिए 6 हजार रुपए की आर्थिक मदद करेगी। ये राशि गर्भवती महिलाओं के अकाउंट में ट्रांसफर कीजाएगी। देश में मातृ मृत्यु दर को कम करने में इस योजना से बड़ी सहायता मिलेगी। वर्तमान में ये योजना 4 हजार की आर्थिक मदद के साथ देश के सिर्फ 53 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत चलाई जा रही थी।
सरकार वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी एक स्कीम शुरू करने जा रही है। बैंक में ज्यादा पैसा आने पर अकसरबैंक डिपॉजिट पर INTEREST RATE घटा देते हैं। वरिष्ठ नागरिकों पर इसका प्रभाव ना हो इसलिए 7.5 लाख रुपए तक की राशि पर 10 साल तक के लिए सालाना 8 प्रतिशत का INTEREST RATE सुरक्षितकिया जाएगा। ब्याज की ये राशि वरिष्ठ नागरिक हर महीने पा सकते हैं।
भ्रष्टाचार, कालाधन की जब भी चर्चा होती है, तो राजनेता, राजनीतिक दल, चुनाव के खर्च, ये सारी बातेंचर्चा के केंद्र में रहती हैं। अब वक्त आ चुका है कि सभी राजनेता और राजनीतिक दल देश के ईमानदारनागरिकों की भावनाओं का आदर करें, जनता के आक्रोश को समझें। ये बात सही है कि राजनीतिक दलों नेसमय-समय पर व्यवस्था में सुधार के लिए सार्थक प्रयास भी किए हैं। सभी दलों ने मिलकर के, स्वेच्छा सेअपने ऊपर बंधनों को स्वीकार किया है। आज आवश्यकता है कि सभी राजनेता और राजनीतिक दल- HOLIER THAN THOU….से अलग हटकर, मिल बैठकर पारदर्शिता को प्राथमिकता देते हुए, भ्रष्टाचारऔर कालेधन से राजनीतिक दलों को मुक्त कराने की दिशा में सही कदम उठाएं।
हमारे देश में सामान्य नागरिक से लेकर राष्ट्रपति जी तक सभी ने लोकसभा-विधानसभा का चुनाव साथ-साथ कराए जाने के बारे में कभी ना कभी कहा है। आए दिन चल रहे चुनावीचक्र, उससे उत्पन्न आर्थिक बोझ, तथा प्रशासन व्यवस्था पर बने बोझ से मुक्ति पाने की बात का समर्थन कियाहै। अब समय आ गया है कि इस पर बहस हो, रास्ता खोजा जाए।
हमारे देश में हर सकारात्मक परिवर्तन के लिए हमेशा स्थान रहा है। अब डिजिटल लेन-देन को लेकर भीसमाज में काफी सकारात्मक परिवर्तन देखा जा रहा है। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ रहे हैं। कल हीसरकार ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के नाम पर डिजिटल ट्रांजेक्शन के लिए पूरी तरह एक स्वदेशीप्लेटफॉर्म- BHIM लॉन्च किया है। BHIM यानी भारत इंटरफेस फॉर मनी। मैं देश के युवाओं से, व्यापारी वर्गसे, किसानों से आग्रह कहता हूं कि BHIM से ज्यादा से ज्यादा जुड़ें।
साथियों, दीवाली के बाद जो घटनाक्रम रहा, निर्णय हुए, नीतियां बनीं- इनका मूल्यांकन अर्थशास्त्री तो करेंगेही, लेकिन अच्छा होगा कि देश के समाजशास्त्री भी इस पूरे घटनाक्रम, निर्णय औऱ नीतियों का मूल्यांकन करें।एक राष्ट्र के रूप में भारत का गांव, गरीब, किसान, युवा, पढ़े-लिखे, अनपढ़, पुरुष-महिला सबने अप्रतिम धैर्यऔर लोकशक्ति का दर्शन कराया है।
कुछ समय के बाद 2017 का नया वर्ष प्रारंभ होगा। आज से 100 वर्ष पूर्व 1917 में महात्मा गांधी के नेतृत्वमें चंपारण में पहली बार सत्याग्रह का आंदोलन आरंभ हुआ था। इन दिनों हमने देखा कि 100 वर्ष के बाद भीहमारे देश में सच्चाई और अच्छाई के प्रति सकारात्मक संस्कार का मूल्य है। आज महात्मा गांधी नहीं हैं, परंतुउनका वह मार्ग जो हमें सत्य का आग्रह करने के लिए प्रेरित करता है, वह सर्वाधिक उपयुक्त है। चंपारणसत्याग्रह की शताब्दी के अवसर पर हम फिर एक बार महात्मा गांधी का पुनस्मरण करते हुए सत्य के आग्रहीबनेंगे तो सच्चाई और अच्छाई की पटरी पर आगे बढ़ने में कोई कठिनाई नहीं आएगी। भ्रष्टाचार औऱ कालेधन केखिलाफ इस लड़ाई को हमें रुकने नहीं देना है।
सत्य का आग्रह, संपूर्ण सफलता की गारंटी है। सवा सौ करोड़ का देश हो, 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 साल सेकम उम्र के नौजवानों की हो, साधन भी हों, संसाधन भी हों और सामर्थ्य में कोई कमी ना हो, ऐसे हिंदुस्तानके लिए कोई कारण नहीं है, कि वो अब पीछे रह जाए।
नए वर्ष की नई किरण, नई सफलताओं का संकल्प लेकर आ रही है। आइए हम सब मिलकर चल पड़ें, बाधाओंको पार करते चलें...एक नए उज्जवल भविष्य का निर्माण करें।
जय हिंद !!!
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